Rinmukti Puja
ऋण मुक्ति पूजा क्या है?
ऋण मुक्ति पूजा का महत्व
ऋण मुक्ति पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह पूजा न केवल आर्थिक समस्याओं को दूर करती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति भी लाती है। इस पूजा के माध्यम से व्यक्ति अपने कार्मिक दोषों को दूर करता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करता है।
ऋण मुक्ति पूजा की पौराणिक कथा व महत्व
हिन्दू सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ देवी भागवत मार्कन्डेय पुराण ओर महाभारत के अनुसार सतयुग में राजा हरिशचंद्र को ऋषि विश्वामित्र को एक गेंडे के भार के बराबर सोना दान करना था। इस ऋण से मुक्ति पाने के लिए राजा हरिशचंद्र ने शिप्रा नदी के तट पर ऋणमुक्तेश्वर महादेव की पूजा की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान महादेव ने उन्हें ऋण से मुक्ति दिलाई। इसके बाद से ही ऋण मुक्ति पूजा का महत्व और बढ़ गया।
ऋण मुक्ति पूजा के लाभ : Benefits of Rin Mukti Puja in Ujjain
✅1.ऋण (कर्ज) से मुक्ति
– ऋण मुक्ति पूजा व्यक्ति को सभी प्रकार के ऋणों (बैंक लोन, EMI, कर्ज आदि) से मुक्ति दिलाती है। व्यक्ति की वित्तीय स्थिति में सुधार होता है।
✅ 2.आर्थिक समस्याओं से मुक्ति
– ऋणमुक्ति पूजा के माध्यम से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता हैै।धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
✅ 3.पूर्वजों और देवताओं के ऋण से मुक्ति
– ऋणमुक्ति पूजा व्यक्ति को पूर्वजों, गुरुओं और देवताओं के ऋण से मुक्त करती है। पितृ दोष और कर्म बंधनों से मुक्ति प्रदान करती हे ।
✅ 4.कुंडली के दोषों का निवारण
– ऋणमुक्ति पूजन मे पंचांगकर्म पूजन होता हे जिसमे नवग्रराह शांति कराई जाती हे जो व्यक्ति की कुंडली के सभी दोष को समाप्त करती हैं।
✅ 5.मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति- ऋण से मुक्ति मिलने पर व्यक्ति का मन शांत होता है। आध्यात्मिक उन्नति और कर्मिक शुद्धि होती है।
✅ 6 .परिवार में सुख-शांति
– ऋण मुक्ति यानि कर्ज से छुटकारा मिलने पर परिवार में सुख और शांति का वातावरण बनता है।
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ऋण मुक्ति पूजा की विधि
3. षोडस मातृका मे सोलह देवीओ का पूजन होता हे जिसमे जातक के कुल की देवी का पूजन किया जाता हे ।
6. ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन किया जाता हे जिन्हे प्रधान देवता भी कहा जाता हे भगवान ऋणमुक्तेश्वर स्वयं देव गुरु ब्रहस्पति के रूप धरती पर शिवलिंग रूप मे विराजमान हे उनका अभिषेक पूजन किया जाता हे ।
7. रुद्र अभिषेक इसमे भगवान शिव के सभी गणों का अभिषेक पूजन नेवेध्य विशेष अर्घ ओर भगवान शिव का अष्ट अध्याय से दुग्ध अभिषेक इसके पश्चात पंचामृत अभिषेक भांग नेवेध्य ओर आरती पूजन होता हे ।